राजनीति नही राष्ट्रधर्म की ज़रूरत
आज के समय में पार्टियों में कांग्रेस ,भाजपा व अन्य पार्टियो में होड़ मची है सत्ता पाने को ।सत्ता में बैठने के लिए दिखावा कुछ कर करते और सत्ता मिलने के बाद परिणाम उन्ही लोगों को भुगतना पड़ता है जिसके कारण ये सत्ता में विराजमान है ।
पार्टियों को ये समझना चाहिए की भ्रष्टाचार सामान्य भारतीयों की त्रासदी है कोई मनोरंजन का खेल नही ।पार्टियाँ आज आम आदमी के विवशता , भावनाओं ओर बेचैनी का मज़ाक़ उड़ा रहे है ।
आज के समय में राजनीति या कह सकते है कि राजनीति आधुनिक दौर का एक ऐसा निकृष्ट व्यापार हो गया है जिसमें लेन देन के सिवाय कोई अन्य विकल्प ही नही दिखायी प्रतीत होता ।
यह राजनीति न तो लोकतंत्र को परिभाषित करती ह और न ही इस प्रकार की राजनीति से सुरक्षित राष्ट्र की उम्मीद की जा सकती है।
सत्ता मे आज इस तरह की बेशर्मी है कि राजनेता देश लूटते रहे और उन पर कोई उंगली भी न उठाए। यदि लोकतंत्र का यही सत्यार्थ है तो आम आदमी के, मेरे और आप जैसे लोगो के सुरक्षित भविष्य की क्या संभाबना है?
जितनी कॉम्पिटिशन आज इनमे चल रही है, गली चौराहो के विभिन्न दलो के कार्यकर्ता जबरन चंदा बसूलते नज़र आएंगे और इस सम्भावना से इनकार भी नही किया जा सकता कि लोकतंत्र के नाम पर ऐसे ऐसे कानून बना दिए गये जिससे साधारण आदमी कि ज़िन्दगी पिसने लगे।
यदि लोकतंत्र की दिशा सच यही है पूरे देश को भारतीय राजनीति पर गम्भीरतापूर्वक सोचना पड़ेगा।
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