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Showing posts from July, 2021

राजनीति नही राष्ट्रधर्म की ज़रूरत

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आज के समय में पार्टियों में कांग्रेस ,भाजपा व अन्य पार्टियो में होड़ मची है सत्ता पाने को ।सत्ता में बैठने के लिए दिखावा कुछ कर करते और सत्ता मिलने के बाद परिणाम उन्ही लोगों को भुगतना पड़ता है जिसके कारण ये सत्ता में विराजमान है । पार्टियों को ये समझना चाहिए की भ्रष्टाचार सामान्य भारतीयों की त्रासदी है कोई मनोरंजन का खेल नही ।पार्टियाँ आज आम आदमी के विवशता , भावनाओं ओर बेचैनी का मज़ाक़ उड़ा रहे है । आज के समय में राजनीति या कह सकते है कि राजनीति आधुनिक दौर का एक ऐसा निकृष्ट व्यापार हो गया है जिसमें लेन देन के सिवाय कोई अन्य विकल्प ही नही दिखायी प्रतीत होता । यह राजनीति न तो लोकतंत्र को परिभाषित करती ह और न ही इस प्रकार की राजनीति से सुरक्षित राष्ट्र की उम्मीद की जा सकती है। सत्ता मे आज इस तरह की बेशर्मी  है कि राजनेता देश लूटते रहे और उन पर कोई उंगली भी न उठाए। यदि लोकतंत्र का यही सत्यार्थ है तो आम आदमी के, मेरे और आप जैसे लोगो के सुरक्षित भविष्य की क्या संभाबना है? जितनी कॉम्पिटिशन आज इनमे चल रही है, गली चौराहो के विभिन्न दलो के कार्यकर्ता जबरन चंदा बसूलते नज़र आएंगे और इस सम्भावन...

ग़रीबी का सम्बंध ..

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  उम्र से लम्बी सड़क पर.....  कहने को अपनी अपनी किस्मत पर...... न जाने कौन है यह हुनरमंद हैं..... न जाने कहाँ से ही यह आये....... जो तमाम ग़म होने पर भी इतना प्यारा मुस्कुराए ॥ ______________________________________ तन पे ग़रीबी की छाया ज़रूर है , कुछ मिल जाने की लालसा ज़रूर है लोगों से लेकिन  ये भी है की पेट की भूख चीज़ है ही ऐसी जो माँगने पे मजबूर कर देता है ।गलती इनकी नही ,गलती उस ग़रीबी की है गलती उस भूख की है जो सताती है इनको लेकिन इनके चेहरे को देख के लगता है की एक अमीरी इनके अंदर है ।पल भर के लिए इनको देख कि सब कुछ भूल के इनके मुस्कान पे ध्यान चला जाता है की इतना कुछ होते हुए भी ये हमें हसना सिखा रहे है ,जितना है उतने में संतुष्ट प्रतीत नज़र आ रहे है ।पर यहाँ मजबूरी स्पष्ट रूप से नज़र आ रही है ,मजबूरी इंसान को बहुत कुछ करने पे मजबूर कर देती है ।मजबूरी चीज़ ही ऐसी है की या तो ये इंसान को बिगाड़ देती है ग़लत रास्ते पे ले जा के या तो ये संवार देती ह बहुत कुछ सिखा के । ओर इस मजबूरी के पीछे सिर्फ़ ओर सिर्फ़ एक बेरोज़गारी का हाथ है ।बेरोज़गारी एक दिमक की तरह देश को अंदर ...