निवेदन


 


​हो सकता है समाज बेटी के इस कुकृत्य पर अचंभित हो या लड़के का समाज उसे सम्मानित करदे या इन दोनो की जोड़ी को लैला – मजनू से भी ज्यादा असीम प्रेमी माना जाए या हो सकता है कुछ फिल्म निर्माता इस अमर प्रेम पर कोई सनसनाती फिल्म बना दे और यह फिल्म आस्कर अवार्ड से सम्मानित कर दी जाए या हो सकता है इन अमर प्रेमियों को राजनैतिक दल अपना  बना ले अथवा समाज में छिपे हुए हजारों ऐसे गैर चिन्हित जोड़ियां इन्हे अपना भगवान मान ले लेकिन उस मां बाप की अकाल मृत्यु और उनकी तड़पती आत्मा का जिम्मेदार कौन होगा ? क्या ऐसे माता पिता की आत्माएं उस समाज को माफ कर पाएगी जहां उन्होंने अपने औलादों पर ही अधिकार खो दिया या उस सरकारी नियमो कानूनों , व्यवस्थाओं,संचार माध्यमों और शैक्षिक संस्थानों को माफ कर पाएंगे जिसने वफादार आज्ञा कारी सुख दुख के साथी और बुढ़ापे की कर्णधार संतानों से उम्मीद का विनाश कर दिया इस दुर्लभ प्रकरण द्वारा की जाने वालीं हत्याओं का गुनहगार कौन है और ऐसा क्यों हों रहा है और ऐसा क्यों होने दिया जा रहा हैं,इसका उत्तर कौन देगा या कहां से मिलेगा ?

 इस दुर्लभ प्रकरण द्वारा की जाने वालीं हत्याओं का गुनहगार कौन है और ऐसा क्यों हों रहा है और ऐसा क्यों होने दिया जा रहा हैं,इसका उत्तर कौन देगा या कहां से मिलेगा ?


हे दुर्भाग्यशाली माँ –बाप ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे और अगले जन्म में आप औलाद हीन मां बाप के रूप में अवतरित हो  . श्रवण कुमार के देश में स्वहत्यारी संताने और संचारक्रांति के अमर प्यार की दारुण कथा के अंत की उम्मीद के साथ ।अमर प्यार की नज़ीर पेश करने वाली आधुनिक कलियुगी औलादों से लाखों माँ-बाप की ओर से मेरा एक निवेदन है ,

                हमने तुमको जनम दिया पाला पोशा यथाशक्य शिक्षा उपलब्ध करायी ,मज़दूरी करके , सब्ज़ी बेचकर , ठेला लगाकर ,गर्मी सर्दी बरसात को भुलाकर जितना सम्भव बन  पड़ा हमने आपके लिए किया । जब तुम बच्चे थे तो हमने तुम्हें चलना सिखाया ,तुम्हें कोई  अभाव महसूस ना हो इसके लिए हमने हर ढंग से व्यवस्था की । तुम्हारे सुख - दुःख ,सफलता -असफलता में हमेशा साथ खड़े रहे इस उम्मीद के साथ की जब मैं कमजोर होऊँगा तो तुम मुझे कंधा दोगे लेकिन मैंने जो तुमको जीवन दिया तुमने तो मेरे जीवन को ही छीन लिया । क्या तुम्हारी चाहते ,क्या तुम्हारी रुचियाँ ,क्या तुम्हारे सपने किसी के जीवन को छीन सकते है ?क्या तुम्हारे इस नए व्यभिचारात्मक उन्मुक्ता की चाहते रक्त के रिश्तों का क़त्ल करेंगी ।किसने तुम्हें अधिकार दिया की अपनी हवस की बेइंतहा चाहतों से हमारे प्राणो को छिनने का । 

जवाब दो … जवाब दो … जवाब दो ..

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