Posts

Showing posts from March, 2023

मरती संवेदना के चश्मदीद

Image
​“भयग्रस्त या लालच”राजनीति आज युवाओं को ऐसा ही बनाना चाहती है और दुर्भाग्य से हम युवा ऐसा बनना पसंद भी कर रहे है । आज युवाओं के मस्तिष्क में सिर्फ़ तार्किकता है ,संवेदनशीलता नही ।परिणाम स्वरूप हर व्यक्ति सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने लिए जीना चाहती है । और संसार की सारी सुविधाओं को किसी भी शर्त पर पाने को बेचैन रहती है । भय व लालच में युवाओं की मनोवृत्ति मानो मौसम से भी तीव्र बदलते हुए विध्वसंता की तरफ़ अग्रसर हो रही है ।जिन युवाओं से पारिवारिक सम्बंध नही निभाए जा रहे है उनसे राष्ट्रहित में सहयोग की कल्पना करना “गंगा में जौ बोने के समान है ”। एक समय में शैक्षिक पाठ्यक्रम में “ईदगाह” का हामिद आदर्श होता था ,राम-कृष्ण ,कबीर-रहीम ,सूर-तुलसी के संगीतमय साहित्य ,पंचतंत्र ,प्रेमचंद्र की कहानियाँ आदि होती थी जो की मानव मस्तिष्क में संवेदना प्रकट करती थी ।परंतु वर्तमान में आज ये नदारद है । परंतु आज का ऐसा वातावरण देख कर खुद शर्मिंदगी महसूस होती है ।बचपन तार्किकता का ग़ुलाम बनकर स्वार्थ में खो गया है ।झूठी पहचान व प्रसंशा के लिए युवा आज दिवाने बने फिर रहे है ।अर्थ और काम के प्रति भारतीय युवाओं के नज़रि...